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293 मिलियन साल पुराने समुद्री जीवाश्मों का राज़ उजागर कर रहा गोंडवाना मरीन फाॉँसिल पार्क...समुद्र के निचे डूबा हुआ था ये हिस्सा...छत्तीसगढ़ में छुपा है अनमोल भूवैज्ञानिक खजाना...!

293 मिलियन साल पुराने समुद्री जीवाश्मों का राज़ उजागर कर रहा गोंडवाना मरीन फाॉँसिल पार्क...समुद्र के निचे डूबा हुआ था ये हिस्सा..
293 मिलियन साल पुराने समुद्री जीवाश्मों का राज़ उजागर कर रहा गोंडवाना मरीन फाॉँसिल पार्क...समुद्र के निचे डूबा हुआ था ये हिस्सा...छत्तीसगढ़ में छुपा है अनमोल भूवैज्ञानिक खजाना...!
नेंद्रगढ़ -चिरमिरी-भरतपुर । छत्तीसगढ़ अपनी प्राकृतिक सुंदरता और ऐतिहासिक धरोहरों के लिए जाना जाता है, लेकिन यहां का गोंडवाना मरीन फॉसिल पार्क एक अद्वितीय और मूल्यवान भूवैज्ञानिक स्थल है, जो अतीत की रहस्यमय कहानियों को जीवित करता है। मनेंद्रगढ़-चिरमिरी-भरतपुर जिले में स्थित, यह पार्क एशिया का सबसे बड़ा समुद्री जीवाश्म उद्यान माना जाता है और पृथ्वी के 293 मिलियन साल पुराने इतिहास को उजागर करता है। यहां पाए गए समुद्री जीवाश्म न केवल छत्तीसगढ़ बल्कि पूरे विश्व के लिए एक महत्वपूर्ण वैज्ञानिक धरोहर हैं। राज्य सरकार इस पार्क के संरक्षण और विकास के लिए निरंतर प्रयास कर रही है, ताकि यह स्थल न केवल अनुसंधान का केंद्र बने, बल्कि पर्यटकों के लिए भी एक प्रमुख आकर्षण बन सके। छत्तीसगढ़ की प्राकृतिक सुंदरता को देखते हुए, यहां घूमने के लिए कई अद्भुत स्थान हैं, लेकिन अब समय आ गया है कि हम पारंपरिक पर्यटन स्थलों के परे जाकर राज्य के इस अनमोल खजाने, गोंडवाना मरीन फॉसिल पार्क का दौरा करें।यह वह समय था जब हमारे वर्तमान भूभाग एक ठंडे समुद्र के नीचे छिपा हुआ था। यह जीवाश्म पार्क केवल अतीत की कहानी नहीं सुनाता, बल्कि भारत की भूगर्भीय धरोहर को वैश्विक पहचान दिलाने का एक सुनहरा अवसर भी प्रदान करता है। छत्तीसगढ़ सरकार इस अनमोल विरासत को दुनिया के समक्ष प्रस्तुत करने के लिए प्रतिबद्ध है, ताकि यह स्थान वैज्ञानिक पर्यटन के एक प्रमुख केंद्र के रूप में विकसित हो सके। इस पार्क की खोज 1954 में भूवैज्ञानिक एस.के. घोष ने कोयला खनन के दौरान की थी। इसकी विशेषता न केवल इसका विशाल क्षेत्र है, बल्कि यह भारत का एकमात्र समुद्री जीवाश्म पार्क है जिसे राष्ट्रीय भूवैज्ञानिक स्मारक का दर्जा प्राप्त है। यहाँ से द्विपटली (बायवेल्व), गैस्ट्रोपॉड, ब्रैकियोपॉड, क्रिनॉइड और ब्रायोज़ोआ जैसे समुद्री जीवों के जीवाश्म प्राप्त हुए हैं। ये जीवाश्म तालचिर संरचना से संबंधित हैं, जो पर्मियन युग के प्रारंभिक काल को दर्शाते हैं। शोधकर्ताओं का मानना है कि यह क्षेत्र समुद्री जलस्तर में अचानक वृद्धि के कारण समुद्र में डूब गया था। ग्लेशियरों के पिघलने के परिणामस्वरूप समुद्र का जल स्तर बढ़ा और इस क्षेत्र में समुद्री जीवन का जमाव हुआ। बाद में, जब जल स्तर घटा, तो ये समुद्री जीव चट्टानों में दब गए और लाखों वर्षों में जीवाश्म के रूप में परिवर्तित हो गए। गोंडवाना मरीन फॉसिल पार्क न केवल छत्तीसगढ़ या भारत के लिए, बल्कि पूरी दुनिया के लिए एक महत्वपूर्ण भूवैज्ञानिक स्थल है। इस तरह के जीवाश्म ब्राजील के पराना बेसिन, ऑस्ट्रेलिया के न्यू साउथ वेल्स, अंटार्कटिका के अलेक्जेंडर आइलैंड और दक्षिण अफ्रीका के कारू बेसिन में भी मिलते हैं। यह पार्क गोंडवाना महाद्वीप के भूगर्भीय इतिहास को समझने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। बदलते मौसम और मानव गतिविधियों के कारण इस जीवाश्म उद्यान को नुकसान होने का खतरा मंडरा रहा है। इसे सुरक्षित रखने के लिए छत्तीसगढ़ सरकार ने ठोस कदम उठाए हैं। अगस्त 2021 में, बीरबल साहनी इंस्टीट्यूट ऑफ पैलियोसाइंसेज के वैज्ञानिकों, छत्तीसगढ़ राज्य जैव विविधता बोर्ड और वन विभाग के अधिकारियों ने इस क्षेत्र का निरीक्षण किया। मार्च 2022 में, छत्तीसगढ़ वन विभाग ने इसे राज्य का पहला मरीन फॉसिल पार्क घोषित किया। मुख्यमंत्री विष्णु देव साय के नेतृत्व में छत्तीसगढ़ सरकार इस जीवाश्म पार्क के विकास के लिए गंभीर प्रयास कर रही है। इसके सौंदर्यीकरण के लिए 41.99 लाख रुपये की स्वीकृति दी गई है। पार्क के बुनियादी ढांचे को बेहतर बनाने और इसे पर्यटन तथा अनुसंधान के लिए अधिक सुविधाजनक बनाने की योजनाएं बनाई जा रही हैं।

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